रितेश कुमार/समस्तीपुर : समस्तीपुर के लिए खुशखबरी है. अब जिले के किसान तकनीकी रूप से समृद्ध होंगे. इसको लेकर डॉ.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कल्याणपुर फॉर्म में गन्ना फसल प्रबंधन में ड्रोन तकनीकी के उपयोग पर एक प्रदर्शनी आयोजित की थी. कुलपति डॉ. पी एस पांडे ने कहा कि ड्रोन का प्रयोग किसान के लिए बहुत लाभकारी है.
ड्रोन से फसलों को मैपिंग रोगों की जानकारी गति व्याधियों पर नियंत्रण के लिए कीटनाशक का छिड़काव तथा अन्य विभिन्न तरह के फायदे के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जल्द ही एडवांस सेंटर आफ डिजिटल एग्रीकल्चर की शुरुआत की जाएगी.
किसान भाड़े पर प्राप्त कर सकते हैं ड्रोन
किसान भाड़े पर विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र तथा अन्य केंद्रों से ड्रोन प्राप्त कर सकते हैं. जिससे किसान आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर सके. ड्रोन विधि किसानों को कम लागत में अधिक फायदा देने वाला उपकरण है. जिस किसान को अपनाना अति आवश्यक है. ड्रोन का स्पीड ट्रायल फॉर्म में किया गया है.
यह भी पढ़ें : इस रेस्टोरेंट में पहले हथकड़ी लगाएंगे, फिर खाना देंगे…वेटर सारे कैदी की ड्रेस वाले…नाम है ‘जेल कैफे’
इस दौरान निदेशक अनुसंधान डॉ. ए के सिंह ने कहा कि डिजिटल एग्रीकल्चर को बिहार में पहली बार शुरुआत कर रहे हैं. कुलपति की सोच आधुनिक और इससे आने वाले समय में बिहार के किसान अन्य राज्यों के किस से ज्यादा प्रगतिशील होंगे. डीन इंजीनियरिंग डॉक्टर अंबरीश कुमार ने कहा कि इस पर क्षेत्र दिवस में इंडस्ट्री वैज्ञानिक किसान आदि 1 मंच पर हैं. किसानों के प्रशिक्षण की व्यवस्था जल्द शुरू होगी.
अब घंटों का काम मिनटों में होता है
ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से कैसे खाद छिड़का जा रहा है. कई फसलों में तो होता है लेकिन अभी गन्ने के पर क्षेत्र में छिड़ा गया है. यह तकनीकी आने से जो कम घंटो में होता था, वह मिनटों में हो जाएगा. यह टेक्नोलॉजी ऐसी है जो किसानों की लागत कम कर देता है. अगर गाने की ही बात करें तो इस खेत में किसान अंदर नहीं घुसना चाहता है, क्योंकि इसकी जो पत्ते होते हैं वह काफी धारदार होते हैं. जिससे किसानों को काटने का डर रहता है. ऐसी स्थिति में ड्रोन टेक्नोलॉजी से किसानों के लिए यह बेहतर विकल्प है.
नैनो यूरिया के साथ ड्रोन की कास्टिंग मात्र 800 रुपए
ड्रोन टेक्नोलॉजी आसानी के बाद अब विश्वविद्यालय में ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जाएगी. जिससे कभी-कभी देखा जाता है ड्रोन टेक्नोलॉजी काम करते-करते कुछ तकनीकी खराब होने के कारण दिक्कत आ जाती है. वैसी स्थिति में पायलट को जो ट्रेनिंग दी जाएगी. जिसमें इन सारी चीज उन्हें सिखाया जाएगा. ड्रोन टेक्नोलॉजी एक ऐसा सिस्टम है जो बड़ा टुकड़ा नहीं बल्कि छोटी-छोटी खेतों में भी मैपिंग कर इसका उपयोग किया जा सकता है.
ड्रोन टेक्नोलॉजी एक ऐसा सिस्टम है, जिसके जरिए एक एकड़ में अगर दवा का छिड़काव करना है तो सिर्फ अब 7 मिनट लगेगा, जबकि इसमें कॉस्ट काफी कम आएगा. अगर किसान ड्रोन टेक्नोलॉजी के माध्यम से नैनो यूरिया का छिड़काव करते हैं, तो नैनो यूरिया के साथ ड्रोन की कास्टिंग मात्र 800 रुपए जाएगा. जो किसानों के लिए ड्रोन वरदान साबित होगा.
.
Tags: Bihar News, Local18, Samastipur news
FIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 21:41 IST