रिपोर्ट- मो. महमूद आलम
नालंदा. नालंदा सिर्फ ज्ञान की ही नहीं मिठास के लिए भी जाना जाता है.यहां एक ऐसी मिठाई जिसकी सोंधी मिठास की खुशबू देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफ़ी प्रसिद्ध है. इसका नाम है नाम खीर मोहन , लेकिन आज इसकी मिठास गुमनामी की दंश झेल रहा है.विलुप्त होने के कगार पर है.जो ज़िला मुख्यालय बिहार शरीफ से 15 किमी दूर स्थित देशना गांव में बनाया जाता है.
जानकार बताते हैं की यह पहली मिठाई है, जिसका नाम किसी हलवाई के नाम पर है.आइए जानते हैं इस मिठाई खीर मोहन को.बता दें की देशना नालंदा का एक ऐसा गांव है, जहां की एक उर्दू लाइब्रेरी काफ़ी मशहूर थी, जिसे देखने कई महान शख्सियत आ चुके हैं.
हलवाई मोहन ने की थी इस मिठाई की शुरुआत
देशना गांव के जानकार और स्थानीय मुर्शीद देशनवी बताते हैं कि आज़ादी से पहले इस गांव में जमींदारों की बस्ती हुआ करती थी.गांव में 40 हलवाई रहा करते थे. उस वक्त से ही इस मिठाई को बनाया जा रहा है. इसकी शुरुआत गांव के हलवाई मोहन ने की थी. इसकी वजह से इस मिठाई का नाम खीर मोहन पड़ा. जिसके बाद से इस मिठाई का डिमांड आसपास के गांव में होने लगी.उस वक्त गांव में हजारों की आबादी थी. लेकिन आज़ादी की लड़ाई के बाद कुछ लोग पलायन कर गए. जिससे वहां की आबादी घटकर अब आधी रह गई.जो गंगा-जमुनी के लिए मिसाल के तौर पर पेश करता था.
ऐसे तैयार होता है खीर मोहन, कई देशों में है डिमांड
इस मिठाई की खासियत इसको बनाने का तरीका है. पहले शुद्ध दूध को कुछ देर तक खौलाने के बाद उसे चूल्हा से उतार कर दूध फ़ाड़ दिया जाता है. फिर 100 ग्राम मैदा मिलाकर उसे सुखाकर चीनी मिलाया जाता है. फिरउसे गोल बनाकर चीनी से बने घोल में डालकर आधा घंटा छोड़ दिया जाता है.फिर खीर मोहन तैयार हो जाता है.उसके बाद लोग खरीदते हैं. यह मिठाई देश के अलग अलग हिस्सों में बसे लोग आज शौक से ऑर्डर कर बनाकर मंगवाते हैं.यही नहीं देशना गांव के लोग विदेशों में भी बसे हैं.जैसे सऊदी, कतर, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश इत्यादि जगहों पर आज भी इस मिठाई को भेजा जाता है.
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FIRST PUBLISHED : March 19, 2023, 07:35 IST