हाइलाइट्स
दुनियाभर में आज यानी 05 सितंबर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया जा रहा है.
इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है.
स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की समय रहते पहचान कर इलाज कराना बेहतर ऑप्शन है.
World Spinal Cord Injury Day 2023: दुनियाभर में आज यानी 05 सितंबर को स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया जा रहा है. इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है. दरअसल, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी एक इसी प्रकार का विषय है. आज बड़ी संख्या में लोग स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं. हालांकि, इस परेशानी के कुछ खास लक्षण भी हैं, जिनकी समय रहते पहचान कर इलाज कराना बेहतर है. अब सवाल है कि आखिर स्पाइनल कॉर्ड के कार्य क्या हैं? किन कारणों से होती है परेशानी? इस परेशानी में किन चीजों का रखें ध्यान? इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं इंदौर स्थित कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल के न्यूरोसर्जरी से लीड कन्सल्टेन्ट डॉ. प्रणव घोडगांवकर….
स्पाइनल कॉर्ड के कार्य
डॉ. प्रणव घोडगांवकर के मुताबिक, स्पाइनल कॉर्ड ( रीढ़ की नस) जोकि स्पाइनल कॉलम ( रीढ़ की हड्डी) से घिरी होती है. इसका कार्य मस्तिष्क में उत्पन्न सिग्नल को शरीर के बाकी अंगों तक ले जाना है. ये एक इलेक्ट्रिक सिग्नल के रूप में होता है, जोकि तेज गति से होता है. इनमें शरीर के विभिन्न भागों से संवेदना मस्तिष्क तक ले जाना एवं मस्तिष्क से मांसपाशियों को चलाने के लिए सिग्नल को लाना आदि शामिल हैं. हृदय की संतुलित गतिविधि भी इसी से संचालित होती है.
स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के कारण और लक्षण
स्पाइनल कॉर्ड शरीर का बहुत ही नरम और नाजुक अंग है. कई प्रकार की घटनाएं इसे नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसका मुख्य कारण तुरंत होने वाली घटनाओं में चोट लगना है, जैसे- किसी तेज गति से होने वाली दुर्घटना की वजह से चोट लगने पर रीढ़ की हड्डियां या तो टूट सकती हैं या फिर अपनी जगह से खिसक जाती हैं. ये नस पर दबाव डालती है, जिससे, हाथ अथवा पैर में कमजोरी, सुन्नपन आना, सांस लेने में कठिनाई होना, मल मूत्र के नियंत्रण में बाधा होना आदि होता है. इस तरह की चोट होने पर कई बार उसे ऑपरेशन के द्वारा ठीक करने का प्रयत्न किया जाता है. इस प्रकार का इलाज लंबे समय तक चलता है एवं सदैव किसी प्रकार की अनिश्चितता से जुड़ा होता है. कभी-कभी लंबे समय तब उपचार के बाद भी व्यक्ति पूर्णतः स्वस्थ नहीं हो पाता है. बेहतर है कि इस प्रकार की चोटों से बचा जाए. हालांकि सड़क सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन से इस तरह की स्थिति से बचा जा सकता है.
अनहेल्दी लाइफस्टाइल भी जिम्मेदार
दूसरे प्रकार की स्पाइनल इंजरी जो आमतौर पर अधिक लोगों को प्रभावित करती है उसे डेजेनेरेटिव (degenerative) स्पाइनल इंजरी कहा जाता है. दरअसल, जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है तो स्पाइन में भी कुछ बदलाव होता है. इन बदलावों में हड्डी में बदलाव, घिसाव, डिस्क का सरकना, नसों में दबाव पड़ना इत्यादि सामान्य है. ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति में इस तरह के बदलाव आते हैं. कुछ लोगों में ये किसी प्रकार की समस्या पैदा नहीं करते हैं, परंतु फिर भी कभी-कभी ये दर्द और तकलीफ के लक्षणों का कारण बनते हैं. स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के मुख्य कारण, जीवन शैली में परिवर्तन, कोई चोट लग जाना, आयु एवं आनुवंशिक आदि कारण हो सकते हैं. आज के आधुनिक समय में कंप्यूटर, मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग, आलस भरी जीवन शैली, अस्वस्थ आहार शैली, मोटापा इत्यादि इन समस्याओं को अधिक बढ़ावा देते हैं. पीड़ित व्यक्तियों को गर्दन, पीठ में दर्द, अकड़न, अत्यधिक थकान, हाथ और पैर में दर्द अथवा सुन्नपन, चलने में दर्द होना या भारीपन लगना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं. स्पाइनल कॉर्ड की समस्या जब अधिक गंभीर रुप ले लेती है तो इस स्थिति में मल मूत्र के नियंत्रण में बाधा भी हो सकती है.
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स्पाइनल कॉर्ड इंजरी होने पर डॉक्टर की सलाह जरूरी
डॉक्टर के अनुसार, उचित समय पर स्पाइनल कॉर्ड इंजरी में होने वाली समस्याओं को पहचानना आवश्यक है, जिससे उचित मेडिकल सलाह ली जा सके. इसके लिए जरूरी है कि एक विशेषज्ञ से सही समय पर परामर्श लिया जाए. चिकित्सक आपका परीक्षण करने के उपरांत एमआरआई या कोई और जांच करने के लिए कहते हैं. एमआरआई एक गहन जांच होती है, जिसमें लगभग 90 प्रतिशत समस्याओं को पहचाना जा सकता है. इसके उचित इलाज में अधिकांश समय पर नियमित दवाई लेने से और जीवन शैली में निर्धारित परिवर्तन लाने से स्पाइनल कॉर्ड की समस्याओं को नियंत्रित किया जा सकता है. दवाओं में दर्द निवारक, मांसपेशियों के रिलेक्सेंट, नर्व स्टांबिलाइजर्स, विटामिन इत्यादि दवाईयां प्रभावकारी रूप से कार्य करती हैं, लेकिन ध्यान रहे कि कोई भी दवा बिना डॉक्टर की सलाह के कभी न लें.
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स्पाइनल सर्जरी को न समझें जटिल
एक्सपर्ट के अनुसार, कई बार कुछ स्थितियों में मरीज की स्पाइनल सर्जरी करने की आवश्यकता होती है. आम धारणा के विपरीत, स्पाइन के ऑपरेशन सुरक्षित एवं परिणाम जनित होते हैं. विशेषज्ञ सर्जन ऑपरेशन की जरूरत को भली-भांति समझते हैं. नई तकनीकों जैसे- न्यूरो नेविगेशन, 3D इमेजिंग, मैटेलिक इंस्ट्रूमेंटेशन इत्यादि ने स्पाइनल शल्य क्रिया को सुरक्षित एवं प्रभावकारी बना दिया है. अब स्पाइन की समस्या जटिल और समस्याजनक बिलकुल नहीं रही है. ऐसे में यदि हम सभी जानकारी का सार निकाल कर देखें तो समझ सकते हैं कि समय के इस दौर में स्पाइन की समस्याए विशेषज्ञों की देखरेख में सरलता से हल की जा सकती है. स्पाइनल संबंधित किसी भी समस्या से बचने के लिए सही आहार, शरीर की क्षमता और आवश्यकता अनुसार व्यायाम, धूम्रपान का निषेध, तनाव से बचाव और परिवार-मित्रों के साथ प्रसन्न रहना आदि सभी बातें ध्यान को भी रखना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 16:48 IST