कोलकाता की मिट्टी से तैयार हो रहा है गणेशजी की मूर्तियां, जानें खासियत

दीपक पाण्डेय / खरगोन. हर शुभ कार्य में सर्वप्रथम पूजे जाने वाले विघ्नहर्ता भगवान गणेश  इस वर्ष 18 सितंबर को आ रहे है. गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्थी तक बप्पा की धूम मचेगी. गणेशोत्सव को लेकर मूर्ति कलाकार भी बप्पा की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे है. वहीं मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के लोगों को पहली बार शहर में ही बंगाली पेटर्न पर गणेशजी की मिट्टी से बनी प्रतिमाएं मिलने वाली है.

दरअसल, खरगोन में पहली बार मिट्टी से मूर्तियां बनाई जा रही है. वो भी बंगाली पेटर्न पर. इन मूर्तियों को अगर आप एक बार देख लेंगे तो फिर पीओपी की मूर्ति लेना ही भूल जाएंगे. यहां बनने वाली मिट्टी की मूर्तियों में जो कलाकृतियां बनी है, शायद ही पूरे जिले में और कहीं हो. यहीं नहीं मूर्तियों की फिनिशिंग देख आप यकीन नहीं करेंगे की यह मूर्तियां मिट्टी की बनी है. इन मूर्तियों की फिनिशिंग एकदम पीओपी से बनी मूर्ति की तरह ही है.

खरगोन में पहली बार बन रही
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल) के रहने वाले मूर्तिकार तापस कुमार पाल, यह मिट्टी की मूर्तियां खरगोन में बना रहे है. उनका यह पहला वर्ष है. शुरुआत होने से तापस कुमार ने करीब 35 मूर्तियां बनाई है, सभी मूर्तियां अलग अलग आकृति की बनी है, जो दिखने में बेहद आकर्षक लग रही है. वें बताते है की सभी मूर्तियां किसी सांचे की मदद से नहीं, बल्कि हाथों से बनाई गई है. सभी मूर्तियां लगभग बनकर तैयार है, बस कलर करना बाकी है.

कलकत्ता से लाते है मिट्टी
वें बताते है की बंगाली पेटर्न पर मूर्ति बनाने के लिए 4 प्रकार की मिट्टी और चारें सहित अन्य सामग्री का उपयोग होता है, जो अलग अलग राज्यों और शहरो से लाना पड़ता है. इसमें कलकत्ता की गंगा मिट्टी और कचोटी मिट्टी सहित बैतूल से चारा, लकड़ी और बांस खंडवा एवं खरगोन से ली गई है. जिससे उन्होंने साढ़े तीन फिट से लेकर साढ़े छः फिट तक ऊंची मूर्तियां बनाई है.

यहां मिलेगी मिट्टी की मूर्ति
तापस कुमार बताते है की खरगोन में डायवर्शन रोड़ परBSNL ऑफिस के सामने वें मिट्टी की मूर्तियां बना रहे है. जिले में बाकी मूर्तिकार पीओपी की मूर्तियां बनाते है. वें अकेले है जो शहर में मिट्टी की मूर्ति बना रहे है. इससे पहले भोपाल में मिट्टी की मूर्तियां बनाते थे. खंडवा में उनके भाई मिट्टी की मूर्तियां बना रहे है. तापस कुमार का कहना है कि वें बचपन से मूर्ति बनाने का काम कर रहे है. कलकत्ता में माता की मूर्तियां बनाते थे, फिर भोपाल आने पर माता के साथ गणेश की मूर्तियां भी बनाने लगे. अब खरगोन में गणेश और माता की मूर्तियां बना रहे है.

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