प्रवीण मिश्रा / खंडवा : भाद्रपद मास यानि भादो में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन भगवान कृष्ण ने धरती पर अवतार लिया था. यह त्योहार देश के हर कोने में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल का पूजन किया जाता है.
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी किया जाता है. इस साल जन्माष्टमी का व्रत 6 सितंबर यानि बुधवार को रखा जाएगा. हिंदू धर्म शास्त्रों में जन्माष्टमी का विशेष महत्व है और कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से हजार एकादशियों का फल मिलता है.
क्यों महत्वपूर्ण है जन्माष्टमी का व्रत
पण्डित अश्विन खेड़े ने बताया कि हिंदू धर्म शास्त्रों एकादशी के व्रत का विशेष महत्व माना गया है.जन्माष्टमी पर इस व्रत को करने से व्यक्ति को एक साथ कई पापों से मुक्ति मिलती है. कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एकादशी व्रत के समान ही माना गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत एकादशी व्रत के समान ही फल प्रदान करता है. कहते हैं कि जन्माष्टमी का व्रत करने से मनुष्य को एक साथ हजार एकादशियों का फल मिलता है.
कब रखा जाएगा जन्माष्टमी का व्रत
भाद्रपद अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनिट से प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को शाम में 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी. इसी के साथ रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 6 सितंबर को सुबह 9 बजकर 20 मिनट से प्रारंभ होगी और 7 सितंबर को सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत 6 तारीख को रखेंगे.
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FIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 00:13 IST