कुशीनगर में सौहार्दपूर्ण माहौल मे मिश्रौली डोल मेला संपन्न: भगवान श्रीकृष्ण की निकाली गयी अलग-अलग झांकियां, चप्पे-चप्पे पर पुलिस व पीएसी के जवान तैनात

कुशीनगर35 मिनट पहले

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जनपद के पडरौना कोतवाली क्षेत्र का अतिसंवेदनशील मिश्रौली डोल मेला गुरुवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सौहार्दपूर्व माहौल मे सकुशल निपट गया। मेला मे सौहार्दपूर्ण माहौल बना रहे इसको लेकर चप्पे – चप्पे पर पुलिस व पीएसी के जवान मुस्तैदी से डटे रहे। मेले मे भगवान श्रीकृष्ण की निकाली गयी अलग-अलग झांकियां आकर्षण का केन्द्र रही।

काबिलेगौर है कि मिश्रौली डोल मेला को लेकर पिछले दो दिनो से सुरक्षा व्यवस्था मे जुटे अधिकारी पर्याप्त पुलिस बल के साथ दोपहर मे ही मेला स्थल पर पहुच गये, वहा से भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ सजी डोल लेकर गांव के जिन रास्तो से होकर मूर्ति गुजरनी थी वहा चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल के साथ तैनात रहे। मेले मे मंगलपुर पटेरहा , सनेरामल छपरा, बरकंटी, पकड़ियार, सोहरौना, विश्रामपट्टी, आधार छपरा बाजार टोला, आधार छपरा खास, शिवाला टोला, दल बहादुर छपरा,कोइरी टोला, सिसवलिया, सहुआडीह, चंदरपुर, सहित डेढ दर्जन गांवो से डोल मिश्रौली पहुंचा। मथौली बाजार के यादव टोले पर तीन दिनों बाद डोल का माँ चेडा देवी मंदिर के तालाब में विसर्जन हुआ । जिसमें पूरे गाँव से लोग नाचते गाते पहुँचे। इस दौरान भक्ति गीतो पर युवा थिरकते रहे। कलाकारों ने हैरतअंगेज करतब दिखाकर लोगो के खूब वाहवाही लूटी।

चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल रहा मौजूद

सुरक्षा व्यवस्था की कमान थामे उपजिलाधिकारी महात्मा सिंह, पुलिस क्षेत्राधिकारी संदीप वर्मा, उमेश भट्ट व पडरौना कोतवाली प्रभारी राज प्रकाश सिंह के अलावा एक दर्जन इंस्पेक्टर, एक दर्जन दरोगा, 3 महिला दरोगा, 250 सिपाही, महिला सिपाही, टीएसआई, 10 ट्रैफिक पुलिस, पांच कंपनी पीएससी, फायर सर्विस के जवान, एंबुलेंस आदि मौजूद रहे।

विश्रामपट्टी डोल का एसडीएम ने किया पूजा-अर्चना

अतिसंवेदनशील गांव विश्रामपट्टी का डोल निकालने को लेकर भारी संख्या मे प्रशासन के लोग मुस्तैद रहे। सदर उपजिलाधिकारी महात्मा सिंह ने पूजा-अर्चना कर डोल का उठवाया जो गाजे- बाजे के साथ मिश्रौली बाजार पहुचा।

प्रशासन ने ली राहत की सांस

सांप्रदायिक दृष्टिकोण से मिश्रौली डोल मेला प्रशासन के लिए अतिसंवेदनशील माना जाता है। मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। स्थिति यह रही कि जब तक मेला समाप्त नहीं हो जाता। तब तक अधिकारियों की सांस अटकी रही। डोल मेला शांति पूर्वक संपन्न कराने के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारी आसपास के गांवों के सामाजिक लोगों के साथ बैठक कर सुझाव लेते रहे।

समाजिक कार्यकर्त्ता व पत्रकार शम्भू मिश्रा, पिन्टू मिश्रा, राधेश्याम दीक्षित, महेन्द्र दीक्षित, अधिवक्ता प्रसिद्ध नरायण दीक्षित, दूधनाथ वर्मा आदि की भूमिका सराहनीय रही।

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