शुभम मरमट/उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में कार्तिक शुक्ल पक्ष की धूम शुरू हो गई है. 20 नवंबर को महाकाल की पहली सवारी निकाली गई. सावन-भादो की तरह कार्तिक अगहन मास में भी महाकाल की सवारी निकलने की परंपरा रही है. कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को पहली सवारी को सभामंडप में शाम 4 बजे विधिवत पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ निकाला गया.
श्री संदीप कुमार सोनी ने बताया कि भगवान श्री महाकालेश्वर श्री मनमहेश के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले हैं. श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार कहारवाडी होते हुए रामघाट क्षिप्रा तट पहुंची, वहां मां क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन पश्चात भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची.
मराठा के समय की परंपरा का आज भी प्रभाव
महाकाल मंदिर में मराठा परंपरा का विशेष तौर पर प्रभाव है. महाराष्ट्रीय परंपरा में शुक्ल पक्ष से माह का शुभारंभ माना जाता है. कार्तिक-अगहन मास में भी महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से शुरू होती है. इसी वजह से इस बार 20 नवंबर से सवारी निकालने की शुरुआत हुई.
कार्तिक अगहन मास में सवारी
-20 नवंबर पहली सवारी
-25 नवंबर रात 11 बजे हरिहर मिलन सवारी
-27 नवंबर दूसरी सवारी
-04 दिसंबर तीसरी सवारी
-11 दिसंबर कार्तिक-अगहन मास की शाही सवारी
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 20:35 IST