कला का उत्कृष्ट नमूना है यह रहस्यमयी बावड़ी, कभी नजदीक से निकलने में लगता था डर

विजय राठौड़/ग्वालियर. जल संरक्षण को लेकर ग्वालियर शहर सदैव ही सजग और जागरूक रहा है, जिसकी गवाही शहर में बनी ऐतिहासिक बावड़ियां आज भी दे रही है. ऐसी ही एक ऐतिहासिक बावड़ी शहर के बिरला नगर की लाइन नंबर 1 में बनी हुई है. जिसके इतिहास के बारे में ज्यादा कुछ स्पष्ट नहीं है, लेकिन स्थानीय निवासी इसे सैकड़ों वर्ष पुरानी मानते हैं ,जो कि इसकी बनावट के आधार पर कहा जाता है. इसके अलावा यह बावड़ी रहस्यमई मानी जाती है. लोगों का कहना है कि कुछ वर्ष पूर्व तक यहां से गुजरने में भी भय लगता था लेकिन अब यहां वर्षभर रामायण का पाठ चलता रहता है एवं कई देवी-देवताओं की स्थापना के बाद आना जाना सामान्य हो गया है.

बावड़ी के भीतर स्थापित हैं देवी देवता
बावड़ी व मंदिर में मजदूरों के लिए दिन भर पानी चलाया जाता था, लेकिन शाम होते ही यहां से गुजरने में भय लगता था. चौहान ने बताया सन 1992 में उनके चाचा जो कि साधु वेश धारण कर चुके थे, ने बावड़ी के भीतर मां काली की स्थापना की एवं पूजा पाठ करने लगे साथ ही बावड़ी के समीप बने हनुमान मंदिर की भी साफ सफाई करके वहां पूजा प्रारंभ की. यहां पर रामायण का पाठ शुरू किया जो आज तक जारी है. इसके अलावा बावड़ी में अन्य देवी-देवताओं भी स्थापित किए गए.

अभी भी बाकी है नमी
समय के अंतराल और देख रेख के अभाव के चलते यह बावड़ी भी अपना वजूद खोती जा रही है. कहने को तो यह बावड़ी सूख चुकी है लेकिन इसमें आज भी नमी बाकी है. जो इसकी दीवारों पर जमी काई से साफ नजर आ रही है. लोगों की मानें तो यदि इसका गहरीकरण किया जाए तो आसपास के इलाके में एक अच्छा पानी का साधन बन सकता है.

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तीन मंजिला है बावड़ी
उक्त बावड़ी तीन मंजिला है. जिसके प्रथम तल तक पानी रहता था, जिसे बंद कर दिया गया है बाकी के दो तलों में आप आसानी से जा सकते हैं. यहां तक पहुंचने के लिए शानदार सीढ़ियों का निर्माण किया गया था जो की आज भी मौजूद हैं.

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