अर्पित बड़कुल/दमोह: हिंदू धर्म में बेलपत्र को दिव्य माना गया है. बेल का पेड़ हर जगह आसानी से मिल जाता है. इसके बेलपत्र भगवान शिव को भी बहुत प्रिय है. यह पेड़ प्राकृतिक रूप से भी लाभकारी है. इसमें सत्त्व तत्व होते हैं, जो वातावरण में रज-तम कणों को निष्क्रिय करने के लिए सात्विक तरंगों को अवशोषित तथा उत्सर्जित करते हैं. इस पेड़ पर कठोर खोल और हल्के तीखे स्वाद वाला बेल फल लगता है. पुराणों और वेदों के अनुसार, बेलपत्र का धार्मिक, औषधीय तथा सांस्कृतिक महत्व है.
आयुर्वेद में बेलपत्र का बड़ा महत्व
बेल एक अनूठा पेड़ है. इसके कई औषधीय लाभ हैं. बेल के फल में विटामिन और खनिज भारी मात्रा में होते हैं. जैसे विटामिन A, C, कैल्शियम, पोटेशियम, राइबोफ्लेविन, फाइबर और B6, B12 और B1 होते हैं. ये खनिज और विटामिन शरीर के विकास के लिए लाभकारी माने गए हैं.
शरीर को रखता है संतुलित
इस पेड़ की पत्तियों और फल के सेवन से तीनों दोष संतुलित रहते हैं, जिन्हें आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ कहा गया है. इसके अलावा बेलपत्र का रोजाना सेवन करने से उच्च रक्तचाप, हृदय की समस्याओं और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. पहले कच्चे बेल को हल्दी और घी में मिलाकर हड्डी टूटने पर लगाया जाता था.
ऐसे करें पत्तियों का उपयोग
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. दीप्ति नामदेव ने बताया कि हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव जी को बेलपत्र चढ़ाया जाता है. यदि प्रसाद के रूप में इन पत्तियों का कोई सेवन करता है तो उसे कई तरह की बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है. इसका आयुर्वेद में बड़ा महत्व है. इस पत्ते का प्रतिदिन सेवन करने से बीपी, डायबिटीज की दिक्कत दूर होती है. पत्तों को पानी में उबालकर पीने से डायबिटीज से छुटकारा मिल सकता है. इसके अलावा बेल का शर्बत पेट के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है.
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FIRST PUBLISHED : October 5, 2023, 08:01 IST