कभी स्मैक और सुलेशन पीता था यह बच्चा, अब ताइक्वांडों में जीत लाया मेडल, जानें कैसे बदली किस्मत

नीरज कुमार/बेगूसराय: कहते हैं कि इंसान की किस्मत कब पलट जाए, किसी को पता नहीं होता है. ऐसा ही कुछ बिहार के बरौनी जंक्शन पर स्मैक और सुलेशन पीने वाले पीयूष कुमार के साथ हुआ. पीयूष के पिता प्रमोद साह बरौनी जंक्शन पर पर फास्ट फूड बेचने का काम करते हैं और 12 वर्षीय बेटा पीयूष स्कूल जाने की उम्र में स्कूल छोड़कर बरौनी जंक्शन पर कुछ आवारा लड़कों के साथ मिलकर स्मैक और सुलेशन पीने का काम करता था.

पूर्व मध्य रेलवे के मजिस्ट्रेट रंजीता और पीएलवी शैलेश ने 2020 में इस बच्चे को इसी हालत में रेस्क्यू किया. जिसके बाद बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए घर के पास ही एक निजी स्कूलों में दाखिला कराने के साथ बच्चे खेल के क्षेत्र से जोड़कर मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए जूनियर ताइक्वांडो क्लब बरौनी से जोड़ दिया गया. इसके बाद पीयूष ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, सिर्फ मेडल जीतने का सपना लिए आगे बढ़ता गया.

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पीयूष को गोल्ड मेडल जीतने पर मिला राजकीय सम्मान

बेगूसराय जिला विधिक प्राधिकार के जज सदन लाल प्रियदर्शी ने पीयूष का जिक्र करते हुए बताया कि 2020 में रेलवे के मजिस्ट्रेट रंजीता और पीएलवी शैलेश ने साथ मिलकर रेस्क्यू किया गया. पहले यह बच्चा नशा का आदि था. लेकिन अब ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया के तत्वाधान में आयोजित होने वाले जूनियर ताइक्वांडो में हिस्सा लेकर बेहतर प्रदर्शन किया . पीयूष ने अपने तीन साल के खेल के इस सफ़र में लगाकर गोल्ड मेडल हासिल कर बिहार सरकार के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ से पटना में खेल के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए राजकीय सम्मान हासिल कर चुका है.

वहीं 12 वर्षीय ताइक्वांडो खिलाड़ी पीयूष कुमार ने बताया कि बरौनी ताइक्वांडो क्लब से खेलने की शुरुआत की. इसके बाद जिला और राज्य स्तरीय ताइक्वांडो में गोल्ड मेडल प्राप्त किया. अब उड़ीसा में नेशनल खेलने के लिए जाएंगे. वहीं तैयारी को लेकर पीयूष ने बताया सुबह 9 बजे तक और और उसके बाद शाम में तैयारी करते हैं.

रेलवे स्टेशन पर फास्ट फूड की दुकान चलाते हैं प्रमोद

बेगूसराय के तेघड़ा प्रखंड के शोकराहा के रहने वाले प्रमोद साह अपने परिवार के भरण पोषण के लिए बरौनी जंक्शन के कैंपस में फास्ट फूड बेचने का काम करते हैं. प्रमोद साह बेटे पर गर्व है कि मैडल जीतकर राज्य का नाम रौशन करेगा. वहीं पिता प्रमोद साह ने बताया काफी खुशी है और चाहते हैं कि हमारा बच्चा आगे बढ़े देश के लिए मेडल जीतकर नाम रोशन करें. इस महंगे खेल में बच्चों को भेजने में मुश्किल तो होती है, लेकिन ताइक्वांडो क्लब से लगातार सपोर्ट मिल रहा है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की सही मार्गदर्शन लोगों की किस्मत बदल देता है.

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