परमजीत कुमार/देवघर. सनातन परंपरा में एकादशी व्रत का खासा महत्व है. इस दिन व्रत रखने से भक्त की सारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है. हर महीने दो एकादशी पड़ती हैं, एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में. वहीं, भाद्रपद की कृष्णा पक्ष की एकादशी का व्रत 10 सितंबर को रखा जाएगा. देवघर के ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल के मुताबिक, इस एकादशी को जया एकादशी भी कहा जाता है. वहीं, इस एकादशी में खास संयोग भी बन रहा है.
बैद्यनाथ धाम के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत 10 सितंबर को रखा जाएगा. एकादशी का व्रत सभी व्रतों श्रेष्ठ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सारे पाप समाप्त हो जाते हैं. मनुष्य को मृत्यु के पश्चात उसे बैकुंठ में स्थान मिलता है. इस एकादशी के दिन शिववास हो रहा है और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. वहीं, इस दिन शिववास होने के कारण भगवान विष्णु के साथ व्रती को भगवान भोलेनाथ का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा.
क्या है जया एकादशी का महत्व?
पंडित नंदकिशोर मुद्गल के मुताबिक, एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं. साथ ही अगर आप कर्ज में डूबे हैं ओर आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो इस एकादशी का व्रत करने से समस्याओं से मुक्ति मिलती है. एकादशी का व्रत रखने से तन मन और धन तीनों पर सीधा प्रभाव पड़ता है.
ये है पूजा शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद का एकादशी तिथि की शुरुआत 9 सितंबर की रात 9 बजकर 13 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन 10 सितंबर रविवार रात 10 बजकर 36 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार एकादशी का व्रत 10 सितंबर को रखा जाएगा. वहीं, पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 37 मिनट से 10 बजकर 2 मिनट तक रहने वाला है. इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग पड़ रहा है.
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FIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 10:22 IST