इसे सियासी दल के रूप में मान्यता लेने का भी प्रयास शुरू कर दिया गया है। दस सितंबर को लखनऊ के विश्वसरैय्या हाल में प्रदेशभर के नेताओं, समाजवादी चिंतकों को बुलाया गया है। इसमें समाजवादी विचारधारा को बचाने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी।
लखनऊ। मौजूदा समाजवादी पार्टी का नेतृत्व पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव के बताए गए रास्ते से भटक गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव के सिद्धांतों को तिलांजलि दे दी है। मुलायम सिंह हमेशा कांग्रेसी से दूरी बनाकर चले, लेकिन आज की सपा को कॉंग्रेस की गोद में बैठने से भी ऐतराज नहीं है। इसी तरह से नेताजी हमेशा कहा करते थे देश का नाम भारत होना चाहिए, इंडिया नहीं, इसमें गुलामी की बू आती है, लेकिन अखिलेश यादव इंडिया नाम की वकालत करने वालों के साथ खड़े हैं।
यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह बात समाजवादी पार्टी के वह नेता कह रहे हैं जिनको अखिलेश ने समय-समय पर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। आज ऐसे नेताओं की अच्छी खासी तादात है। यह नेता इतने ताकतवर हो गए हैं कि इन नेताओं ने समाजवादी पार्टी के समानांतर ‘स्वाभिमान समाजवादी मोर्चा’ बना लिया है,जिसको सियासी ताकत देने की तैयारी भी शुरू हो गई है। इसी क्रम में 10 सितंबर को लखनऊ से सपा स्वाभिमान मोर्चा की एक बैठक बुलाई गई है।
स्वाभिमान समाजवादी मोर्चा की कमान समाजवादी लोहिया वाहिनी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप तिवारी, समाजवादी युवजन सभा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ब्रजेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता पीडी तिवारी के हाथ में है जिन्हें 14 अगस्त को अनुशासनहीनता के चलते सपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया। इन तीनों नेताओं का दावा है कि पिछले 15-20 दिनों में उन्होंने करीब 50 से ज्यादा जिलों का दौरा कर पार्टी से नाराज चल रहे नेताओं के साथ बैठक की है. सपा के पूर्व नेताओं का कहना है कि वह नेता जी मुलायम सिंह के बताए गए रास्ते पर आगे बढ़ेंगे.इसी रणनीति के तहत स्वाभिमान समाजवादी मोर्चा का गठन किया गया है।
इसे सियासी दल के रूप में मान्यता लेने का भी प्रयास शुरू कर दिया गया है। दस सितंबर को लखनऊ के विश्वसरैय्या हाल में प्रदेशभर के नेताओं, समाजवादी चिंतकों को बुलाया गया है। इसमें समाजवादी विचारधारा को बचाने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। युवाओं, महिलाओं के साथ ही जनहित के विभिन्न मुद्दों पर विचार किया जाएगा। इसी दिन मोर्चा की दशा एवं दिशा तय होगी। फिर नवंबर में सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। ब्रजेश यादव का दावा है कि मुलायम सिंह यादव के प्रति गहरी निष्ठा रखने वाले प्रदेश के करीब ढाई सौ से अधिक पूर्व विधायकों, पूर्व एमएलसी एवं पूर्व सांसदों ने उनके कदम को जायज ठहराया है। समाजवादी विचारधारा को बचाए रखने के बगावत की है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा अध्यक्ष की नीतियों की वजह से पार्टी के ज्यादातर नेता निराश हैं।
प्रदीप तिवारी का कहना है कि नेता जी मुलायम सिंह ने जिस उद्देश्य को लेकर सपा का गठन किया था। अब उसके नेता रास्ते से भटक गए हैं। ऐसे में नए रास्ते पर चलते हुए समाजवादी नेताओं के मान- सम्मान की रक्षा की जाएगी। तिवारी ने बताया कि 10 सितंबर को स्वाभिमान समाजवादी मोर्चा के बैनर तले होने वाला विमर्श प्रदेश की सियासत में नया आयाम स्थापित करेगा। मोर्चा की ओर से आयोजित विमर्श में लखनऊ,कानपुर,गोरखपुर,रुहेलखंड,आगरा, इलाहाबाद,अलीगढ़ विश्वविद्याल सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के पूर्व छात्र नेता भी हिस्सा लेंगे। सभी के विचारों को सुनने के बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। विमर्श के दौरान इस बात की भी चर्चा होगी कि लोकसभा चुनाव के समय क्या रणनीति अपनाई जाए. जरूरत के अनुसार मोर्चा किसी दल के साथ गठबंधन को भी तैयार रहेगा.