प्रवीण मिश्रा/खंडवा: तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर स्थित अति प्राचीन श्री पंचमुखी गणेश मंदिर का इतिहास प्राचीन है. बताया जाता है कि गणेश प्रतिमा उसी पाषाण की है, जिसका श्री ओंकारेश्वर का शिवलिंग है. यहां आने वाले भक्त ओंकारेश्वर से पहले पंचमुखी गणेश के दर्शन करते हैं. इसका अलग ही महत्व है.
धार्मिक मान्यताएं हैं कि राजा मांधाता ने विंध्य पर्वत माला के ओंकार द्वीप पर भगवान शिव की तपस्या अभीष्ट बुद्धि प्राप्ति के लिए की थी. उस समय इस स्थान पर रिद्धि-सिद्धि के भगवान गणपति ने पंचमुखी रूप में साक्षात दर्शन दिए थे. प्रतिमा में एक मुख दाएं, एक मुख बाएं, दो मुख सामने की ओर तथा एक मुख पीछे की ओर स्थित है.
प्रथम दर्शन की है मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि ओंकारेश्वर भगवान के दर्शन से पहले प्रथम दर्शन श्री पंचमुखी गणेश जी के करने चाहिए. पंचमुखी गणेश प्रतिमा ओंकारेश्वर मंदिर के दाहिनी ओर स्थित है. पंचमुखी गणेश के पांच मुखों के महत्व के बारे में बताया जाता है कि पंचकोष अन्नमय, प्राणमय, विज्ञान कोष और आनंदमय कोश पंचमुखी गणेश के पांचों रूप सृष्टि के प्रतीक हैं.
दर्शन आराधना से होता है दुखों का निवारण
मंदिर के पुजारी सुरेश चंद्र त्रिवेदी ने बताया कि ओंकारेश्वर में समस्त प्रकार की ऊर्जा, बुद्धि, साधना, शक्ति, वैभव प्राप्त करने के लिए यहां लोग आते हैं. यह पंचमुखी गणेश की प्रतिमा दुर्लभ है. इनके दर्शन करने, आराधना से सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं तथा समस्याओं का निवारण भी हो जाता है. गणेश उत्सव में पूजन व दर्शन करने का विशेष लाभ माना गया है.
दूर-दूर से आते हैं भक्त
पंडित जी बताते हैं कि तीर्थ नगरी ओमकारेश्वर में भोले बाबा के दर्शन के लिए देशभर से भक्तगण आते हैं, जो भी भक्त ओंकार महाराज के दर्शन हेतु आता है, वह पंचमुखी गणेश भगवान के भी दर्शन जरूर करता है.
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2023, 19:21 IST