अमित सिंह/प्रयागराज. मैं चाहता हूं कि जब भी मैं कोई प्रस्तुति दूं तो लोग मुझे मेरी कला के दम पर मूल्यांकन करें, ना कि मेरे दिव्यांग होने पर. यह कहना है दिव्यांग संगीतकार प्रियम का जो एक हाथ से बेहतरीन पियानो प्ले करते हैं. उनका मानना है कि सहानुभूति होना जायज है, लेकिन उनकी कला को मुकम्मल स्थान तभी मिल पाएगा जब लोग इसे सामान्य कलाकार की दृष्टि से देखेंगे.
खास बात यह है कि जितना सुंदर प्रियम पियानो बजाते हैं उतना ही अच्छा गाते भी हैं. देश के कई राज्यों में विभिन्न सांस्कृतिक प्रोग्राम में अपनी प्रस्तुति भी रह चुके हैं. प्रयागराज में इन्हें लोग ‘ वन हैंड टैलेंटेड बॉय’ के नाम से जानते हैं. प्रियम की माता चाय की दुकान चलाती हैं और पिता प्राइवेट ड्राइवर हैं. इनका लक्ष्य हर दिव्यांगों में भरे टैलेंट को बाहर निकालना है.
लोग दिव्यांगता का मजाक उड़ाते थे
प्रियम ने कहा कि करीब 7 साल मेरी संगीत की यात्रा जारी है. संघर्ष के दौरान लोगों ने मेरे दिव्यांग होने का मजाक भी उड़ाया, लेकिन मैं अपने पथ पर चलता रहा. मैंने अपने जैसे ही कुछ दिव्यांग बच्चों को संगीत की शिक्षा देनी शुरू की है. मेरा लक्ष्य है कि इनके लिए विशेष संस्थान बनाना है. जहां वह अपनी प्रतिभा को सबके सामने ला सकें.
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FIRST PUBLISHED : May 26, 2023, 12:04 IST