एक पैर पर खड़े होकर चौके-छक्के लगाता है ये शख्स, अब नेशनल टीम में चयन

रुपांशु चौधरी/हजारीबाग. कहते हैं ना सफलता आपकी मेहनत पर निर्भर करती है. आप जितने जज्बे और मेहनत से प्रयास करेंगे सफलता उतनी ही जल्दी आपके कदम चूमेगी. ऐसी ही कुछ कहानी है हजारीबाग के टाटीझरिया के रहने वाले 18 वर्षीय दिव्यांग क्रिकेटर ऋषिकेश चौधरी की. ऋषिकेश बचपन से दिव्यांग है. इसका जन्म से ही दायां पैर नहीं है. फिर भी अकठोर जज्बे से ऋषिकेश का चयन डीसीसीआई के द्वारा आयोजित हो रहे मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 8 सितंबर से मेयर कप और राजस्थान के उदयपुर में 25 सितंबर से होने वाले तीसरे नेशनल टी-20 क्रिकेट टीम में हुआ है.

वहां वो झारखंड की टीम की और से जलवे बिखरेंगे. आपको बता दे कि डीसीसीई बीसीसीआई का ही एक अंग है जो दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए काम करती है. इस वर्ष 24 टीम के लगभग 400 खिलाड़ी नेशनल टी-20 कप में भाग लेंगे.

ऋषिकेश ने लोकल 18 को बताया कि बचपन से ही एक पैर नहीं होने के कारण उन्हें कई समस्यों का सामना पड़ा, लेकिन एक पैर से ही दौड़ तक लेते थे. क्रिकेट खेलने का शौक बचपन से ही है, लेकिन गांव में चोट लगने के डर से खेलने नहीं देते थे. एक दिन गांव के टूर्नामेंट में खिलाड़ी की कमी थी तो मौका दिया गया. उन्होंने कहा कि उस क्रिकेट मैच में बहुत अच्छा परफॉर्मेंस रहा. मेरे प्रदर्शन के कारण गांव की टीम मैच जीत गई. यही वो दिन था कि जब गांव की टीम में उनकी भूमिका सुनिश्चित हो गई. ऐसे ही एक लोकल टूर्नामेंट में कोच आरजी क्रिकेट एकेडमी के गोपाल सर मिले और उन्होंने मुझे जुड़ने को कहा.

घर से मिला काफी सहयोग
ऋषिकेश ने बताया कि ड्रिक्ट्रिक्ट ट्रायल में सिलेक्ट होने के बाद वो बिहार क्रिकेट खेलने के लिए भी जा चुके हैं. ऋषिकेश लेफ्ट हेडेड बैट्समैन व लेफ्ट आर्म बॉलर के रूप में खेलते हैं. अभी ऋषिकेश खेल के बेहतर प्रैक्टिस के लिए रांची में कोच सुजीत कुमार के साथ ट्रेनिंग और रांची में बीबीए की पढ़ाई कर रहे हैं. उन्हें घर से काफी सहयोग मिला. पिता संजीत चौधरी दुकानों में जाकर प्लास्टिक सप्लाई करते है. काफी होने के मध्यमवर्गीय होने के बावजूद हर समय कहीं न कहीं से मेरे क्रिकेट ट्रेनिंग और इक्विपमेंट का खर्च देते है.

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FIRST PUBLISHED : August 29, 2023, 15:26 IST

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