इस समय पूरे देश में गर्मी और बारिश के चलते उमस का माहौल है। पूरे समय शरीर से पसीना बाहर आ रहा है,
जिसके चलते चिपचिपापन महसूस हो रहा है। ऐसे समय में हमें ऐसे फ़ैब्रिक्स से बने आउटफ़िट्स की ज़रूरत होगी, जो बढ़ती उमस
और गर्मी से राहत दिला सकें। आज हम अपने पाठकों को कुछ ऐसे ही फ़ैब्रिक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस मौसम में आपके लिए बेहतरीन साबित होगें।
चाम्ब्रे
चाम्ब्रे एक पतला और हल्का फ़ैब्रिक है, जो डेनिम जैसा दिखता है। यह सादा बुनाई वाला कपड़ा कॉटन से तैयार किया जाता है। इसे बनाने के लिए धागों को एक-दूसरे के साथ गूथ दिया जाता है, जो क्रिस-क्रॉस की संरचना बनाते हैं। चाम्ब्रे से ट्राउज़र्स, शर्ट्स, जैकेट्स, टॉप्स, शॉर्ट्स और कई तरह के आउटफ़िट्स तैयार किए जाते हैं। झुलसाने वाली गर्मी के महीनों में डेनिम प्रेमियों के लिए एक आदर्श विकल्प है। चाम्ब्रे के साथ ही कॉटन जर्सी भी एक ऐसा ही फ़ैब्रिक है, जो गर्मी के दौरान ट्राउज़र्स के लिए बढ़िया मटेरियल है।
खादी
खादी, भारत की भावनाओं से जुड़ा हुआ एक फ़ैब्रिक है। इस फ़ैब्रिक को स्वेदशी आंदोलन के दौरान बहुत लोकप्रियता हासिल हुई और तब से लेकर आज तक यह लोगों की पसंद बना हुआ है। खादी के फ़ैब्रिक को हाथों से बुनकर तैयार किया जाता है और इसकी यही ख़ूबी इसे अन्य फ़ैब्रिक से अलहदा बनाती है। खादी को या तो कॉटन फ़ाइबर्स से या फिर सिल्क से तैयार किया जाता है।
पारंपरिक रूप से खादी सांस्कृतिक पहनावों के रूप में लोकप्रिय रहा है, पर समय के बदलाव के साथ हालिया कुछ सालों में कई ब्रैंड्स ने इसके साथ प्रयोग करके इंडो-वेस्टर्न फ़्यूज़न तैयार किया
है। आज के समय में फ़ैशन इंडस्ट्री बिना किसी सवाल के खादी की क्षमता को मान रही है और लोग इसे अपना भी रहे हैं।
सिल्क
सिल्क सबसे कीमती फ़ैब्रिक्स में से एक है। सिल्क को इसकी भव्यता और आरामदायकता की वजह से काफ़ी पसंद किया जाता है। इतिहास में राजा-रजवाड़ों के यहां सिल्क की पोशाकों का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है। गर्मी के दिनों में सिल्क ठंडक पहुंचाता है, जिस वजह से बढ़ते तापमान के साथ ही इसकी मांग भी बढ़ती जाती है।
कुछ वर्ष पहले तक सिल्क सिर्फ़ रेशम के कीड़ों से प्राप्त किया जाता था, लेकिन पर्यावरण प्रेमियों और वेगन फ़ैब्रिक की बढ़ती मांग ने फ़ैशन इंडस्ट्री को सिल्क प्राप्त करने के लिए नए तरीक़ों पर अमल में लाने पर विवश किया।
हाल के दिनों में ऑर्गेनिक सिल्क तैयार करने के लिए उसमें मौजूद एरिमोथ को मारा नहीं जाता है, बल्कि उन्हें पूरी तरह से तैयार होकर तितली के रूप में उड़ने दिया जाता है, उसके बाद कोकून (जिसमें रेशम का कीड़ा रेशम पैदा करता है) से सिल्क तैयार किया जाता है। सिल्क के इन इको-फ्रैंडली वेरिएंट्स को अभी मुख्य धारा में आना बाक़ी है, लेकिन ख़ुशी की बात यह है कि फ़ैशन इंडस्ट्री ने सही दिशा में क़दम बढ़ना शुरू कर दिया है।
ऑर्गेनिक कॉटन
कॉटन इस दुनिया का शायद सबसे बहु-उपयोगी और लोकप्रिय फ़ैब्रिक है और कारण है इसकी आरामदेही। गर्मी से निपटने के लिए इसका कलेक्शन बहुत ज़रूरी हो जाता है, लेकिन आपको बता दें कि कॉटन के कपड़े तैयार करने में पर्यावरण को कई तरह से नुक़सान पहुंचता है।
इन नुक़सान की वजह से हाल के कुछ सालों में फ़ैशन उद्योग पर्यावरण के प्रति कुछ सचेत हुआ है और पारंपरिक कॉटन की जगह ऑर्गेनिक कॉटन की तरफ़ मुड़ा है। कई शोधों में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि पारंपरिक कॉटन की तुलना में ऑर्गेनिक कॉटन तैयार करने में 90% कम पानी की ख़पत होती है जबकि कार्बन का उत्सर्जन भी 46% कम हो जाता है।
इसमें रासायनिक सामग्री और कीटनाशकों का इस्तेमाल ना के बराबर होता है, जिससे मिट्टी और स्थानीय जलाशय भी सुरक्षित रहते हैं। इसके अलावा ऑर्गेनिक कॉटन वज़न में हल्का और ब्रीदेबल होता है, जिसे आप पारंपरिक कॉटन की तरह ही इस्तेमाल कर सकते हैं।
लिनेन
बढ़ते तापमान से निपटने में कॉटन के बाद अगर कोई फ़ैब्रिक आपकी मदद कर सकता है तो वो है लिनेन। लिनेन एक ढीला बुना हुआ फ़ैब्रिक है, जो बहुत ही अधिक ब्रीदेबल होता है। लिनेन गर्मी में आने वाले पसीने को पूरी तरह से सोखता है। सही डिज़ाइन्स और कलर्स के सही मेल के साथ लिनेन को पार्टीज़ ड्रेस से लेकर फ़ॉर्मल और कैज़ुअल लुक के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
नोट:
आलेख
में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। आप अपने लिए विषय विशेषज्ञों से
परामर्श कर सकते हैं। कंटेंट का उद्देश्य मात्र
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