उन्नाव2 घंटे पहले
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जिला जज प्रतिमा श्रीवास्तव ने दिखाई हरी झंडी।
उन्नाव में लोक अदालत को सफल बनाने के लिए जिला जज की अध्यक्षता में कई बार बैठक हुई। जिला जज प्रतिमा श्रीवास्तव ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन का उद्देश्य विवादों को सुलह समझौते के माध्यम से निस्तारण कराने के लिए वैकल्पिक मंच प्रदान करना है। ऐसे में अधिक से अधिक वादों को चिह्नित कर उनका निस्तारण कराया जाए। आज जागरूकता के लिए प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
त्वरित, सस्ता, सुलभ न्याय प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक अधिकार है। आगामी 9 सितम्बर को सुबह दस बजे जनपद न्यायालय परिसर उन्नाव, न्यायालय परिसर पुरवा, हसनगंज, सफीपुर, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण उन्नाव तथा कलेक्ट्रेट, समस्त तहसीलों एवं अन्य संबंधित विभागों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। राष्ट्रीय लोक अदालत का जनपद के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में वृहद प्रचार-प्रसार कराने के लिए जनपद न्यायालय परिसर से जनपद न्यायाधीश प्रतिमा श्रीवास्तव द्वारा तीन प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
त्वरित न्याय नागरिकों का नैतिक अधिकार
जिला जज ने कहा कि त्वरित, सस्ता, सुलभ न्याय प्रत्येक भारतीय नागरिक का नैतिक अधिकार है। राष्ट्रीय लोक अदालत में तहसील न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय के स्तर पर किसी भी न्यायालय अथवा विभागीय मामलों को सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित किए जाने हेतु आवेदन पत्र देकर अन्तिम आदेश व निर्णय प्राप्त कर सदैव के लिए लम्बित मामले से छुटकारा पाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि लोक अदालत में पक्षों के मध्य आपसी सुलह-समझौते के आधार पर विवाद का निस्तारण पक्षकार-व्यक्तिगत स्तर पर स्वयं पहल कर सकते हैं। लोक अदालत में वाद निस्तारण के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क देय नहीं है। लम्बित मामले के लोक अदालत में निस्तारण पर न्यायालय शुल्क वापसी की व्यवस्था है। लोक अदालत के निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती है। कानूनी जटिलताओं से परे लोक अदालत की प्रक्रिया सहज और आपसी समझौते पर आधारित है।
उन्नाव में लोक अदालत के लिए चलाया गया जागरूकता अभियान।
सुलह समझौते से निस्तारित होते हैं वाद
राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी प्रकार के शमनीय आपराधिक, सुलह समझौते से निस्तारित होने वाले वाद, उत्तराधिकार से संबंधित सिविल मामले, वाद वापसी के मामले बैंक ऋण वसूली प्री-लिटिगेशन वाद, पारिवारिक एवं वैवाहिक मामले, नगर निगम, नगर पालिका अधिनियम, श्रम संबंधी वाद, भूमि अधिग्रहण संबंधी मामले, राजस्व संबंधित मामले, सर्विस मैटर्स, मनरेगा वाद, व्यापार कर वाद, वजन व मापतौल अधिनियम, वन अधिनियम उपभोक्ता फोरम वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद, एनआई एक्ट के वाद, विधुत एवं जल संबंधी अन्य वाद, आरबीटेशन वाद, आपदा राहत वाद, यातायात चालानी वाद आदि का निस्तारण कराया जा सकता है।
इस दौरान प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय जैगम उद्दीन, एडीजे अल्पना सक्सेना, एडीजे ममता सिंह, एडीजे, नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत अनिल कुमार सेठ, एडीजे सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मनीष निगम, एडीजे विवेकानन्द विश्वकर्मा, एडीजे पूनम द्वितीय, एडीजे जयवीर सिंह नागर, सीजेएम स्वतंत्र प्रकाश, सिविल जज रघुवंश मणि सिंह, सिविल जज सुधा सिंह, एसीजेएम राजीव मुकुल पाण्डेय, सूचना अधिकारी सतीश कुमार सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी गण मौजूद रहे।