उच्च न्यायालय ने कहा खुले मैनहोल के चलते अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो बीएमसी जिम्मेदार होगी

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मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अभय आहुजा की पीठ ने कहा कि वह समूचे शहर में खुले मैनहोल के मुद्दे को लेकर चिंतित है और इस मुद्दे पर बीएमसी से स्थायी समाधान करने को कहा। पीठ समूचे महाराष्ट्र में सड़कों के गड्ढों और खुले मैनहोल की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी

बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा खुले मैनहोल को ढंकने के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना करता है, फिर भी अगर इसके कारण कोई अप्रिय घटना होती है तो इसके लिए बीएमसी जिम्मेदार होगी।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अभय आहुजा की पीठ ने कहा कि वह समूचे शहर में खुले मैनहोल के मुद्दे को लेकर चिंतित है और इस मुद्दे पर बीएमसी से स्थायी समाधान करने को कहा। पीठ समूचे महाराष्ट्र में सड़कों के गड्ढों और खुले मैनहोल की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता जताने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

बीएमसी के वकील अनिल सुखो ने बुधवार को अदालत को बताया कि बीएमसी युद्ध स्तर पर खुले मैनहोल के मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रही है और ऐसे सभी खुले मैनहोल को बंद करने का कार्य जारी है।
पीठ ने कहा कि बीएमसी का कार्य सराहनीय है लेकिन फिर भी खुले मैनहोल के कारण अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो इसके लिए बीएमसी जिम्मेदार होगी।
मुख्य न्यायाधीश दत्ता ने कहा, ‘‘अच्छा है कि आप (बीएमसी) इस पर काम कर रहे हैं लेकिन अगर इसके कारण कोई घटना होती है तो हम आपको ही जिम्मेदार ठहराएंगे।

हम लोग बीएमसी की सराहना करते हैं लेकिन अगर खुले मैनहोल में कोई गिर जाए तो क्या होगा?’’उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में हम पीड़ित व्यक्ति को दीवानी मुकदमा (मुआवजे के लिए) शुरू करने के लिए नहीं कहेंगे. हम कहेंगे कि आपके अधिकारी जिम्मेदार हैं।’’
पीठ ने सुझाव दिया कि बीएमसी को आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए और कुछ ऐसा तैयार करना चाहिए जिससे मैनहोल का ढक्कन हटते ही संबंधित अधिकारी सतर्क हो जाए।

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