ईवीएम जांच: अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से उच्चतम न्यायालय का इनकार

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ दायर अर्जी पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और ‘वीवीपैट’ की ‘प्रथम स्तर की जांच’ (एफएलसी) करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस की दिल्ली इकाई के पूर्व अध्यक्ष एवं याचिकाकर्ता अनिल कुमार की ओर से पेश हुए वकील से कहा, ‘‘अब इसमें हमारे शामिल होने से चुनाव कार्यक्रम में पूरी तरह से देरी होगी। हम हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं।’’
हस्तक्षेप करने के प्रति पीठ के अनिच्छा जाहिर करने पर, कुमार के वकील ने इसे वापस लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया।

पीठ ने कहा, ‘‘इसे वापस ले लिया गया समझते हुए खारिज किया जाता है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला भी शामिल हैं।
कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनावों में उपयोग किये जाने वाले ईवीएम और ‘वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल्स’ (वीवीपीएटी) की प्रथम स्तर की जांच और इसकी तैयारियों के दौरान अपनाई गई प्रक्रिया पर चिंता जताते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
सोमवार को सुनवाई के दौरान, शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह एक ऐसा मामला नहीं है जहां उसका हस्तक्षेप वांछित है क्योंकि कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने उस वक्त प्रक्रिया से दूर रहने का विकल्प चुना था जब एफएलसी की कवायद की जा रही थी।

कुमार के वकील ने जब कहा कि कोई अन्य राजनीतिक दल इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ, तब पीठ ने कहा, ‘‘जैसा कि आपने कहा है कि अन्य राजनीतिक दलों का प्रक्रिया में शामिल नहीं होने से संभवत: यह संकेत मिलता है कि नतीजे में विश्वास है…। ’’
पीठ ने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों की भागीदारी प्रक्रिया में एक कदम है। ऐसा नहीं है कि यदि कोई पार्टी इसमें शामिल नहीं होती है तो पूरी प्रक्रिया संदेह के घेरे में आ जाए।’’
वकील ने कहा कि एफएलसी आगामी लोकसभा चुनावों के लिए है और निर्वाचन आयोग इसे दिल्ली, झारखंड और केरल के लिए कर रहा है। कुछ अन्य राज्यों के लिए यह जारी है, जबकि शेष के लिए इसे किया जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘प्रक्रिया बहुत विस्तृत है। दलों का इसमें विश्वास है। इसका पूरे भारत में अनुकरण किया जा रहा है।’’
उच्च न्यायालय ने 29 अगस्त को कुमार की याचिका पर फैसला सुनाया था।

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