इस मंदिर में पूजा करने से मिलता है कोर्ट-कचहरी के मामलों से छुटकारा, 100 साल पुराना है इसका इतिहास

अभिलाष मिश्रा/ इंदौर. मध्यप्रदेश के इंदौर में भगवान पंचमुखी हनुमान का एक बेहद ही प्राचीन मंदिर है, जो लगभग 100 वर्षों से भी अधिक पुराना है. इस मंदिर से लोगों की काफी मान्यताएं जुड़ी हुई है. वैसे तो इस मंदिर में प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है लेकिन विशेषकर मंगलवार और शनिवार के दिन मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगता है.जहां पंचमुखी हनुमान पूरे ठाठ के साथ विराजते हैं. भगवान पंचमुखी हनुमान की मनमोहक छवि भक्तों के मन को मोह लेती है.मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि भगवान पंचमुखी हनुमान की आराधना का विशेष महत्व माना जाता है. पंचमुखी हनुमान की आराधना करने से सारे संकट और सारी विपदाएं टल जाती हैं और व्यक्ति अपने जीवन में असंभव कार्यों को भी संभव कर देता है.

बता दें इस प्राचीन पंचमुखी हनुमान मंदिर में दीपदान करने और नारियल चढ़ाने की परंपरा है. जिसके बारे में मान्यता है कि भगवान पंचमुखी हनुमान के सामने दीपदान करने से बड़ी से बड़ी विपदा भी टल जाती है.सनातन धर्म के अनुसार हनुमान जी ने पंचमुखी रूप में अवतार लेकर रावण के भाई अहिरावण का वध किया था. मंदिर के बारे में मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति का कोर्ट कचहरी में मामला चल रहा है तो भगवान पंचमुखी हनुमान की आराधना से मामला झटपट निपट जाता है और सत्य की विजय होती है.मान्यता यह भी है कि भगवान पंचमुखी हनुमान की आराधना से सरकारी नौकरी की तैयारी करने वालों को भी जल्द सफ़लता मिलती है.

दीपदान करने और नारियल चढ़ाने की है परंपरा
वहीं मान्यता यह भी है कि व्यक्ति की जो भी कामना है उसका स्मरण कर अगर भगवान पंचमुखी हनुमान के सामने मन्नत वाली नारियल रखी जाए तो भगवान पंचमुखी हनुमान बड़ी से बड़ी मनोकामना को भी पूर्ण कर देते हैं.यही कारण है की बड़ी संख्या में भक्तगण मंदिर में भगवान पंचमुखी हनुमान के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं और साथ ही साथ भगवान हनुमान के सामने बैठकर हनुमान चालीसा और राम नाम का भी पाठ करते हैं.

मंदिर के भीतर एक गौशाला भी बनाई गई है जहां बड़ी संख्या में गोवंश की सेवा की जाती है. बता दें कि भगवान पंचमुखी हनुमान का यह प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर इंदौर के सत्य साईं चौराहे में मौजूद है.मंदिर में भगवान पंचमुखी हनुमान के अलावा भगवान सीताराम, भगवान भोलेनाथ और गणपति भी विराजमान हैं.

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FIRST PUBLISHED : September 18, 2023, 20:09 IST

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