परीक्षा ठाकुर/फरीदाबाद.फरीदाबाद के बल्लभगढ़ से करीब 16 किलोमीटर दूर बसे गांव हीरापुर का इतिहास काफी पुराना है. इतना ही पुराना है कि यहां मौजूद अठलाया कुएं है. इस गांव का नाम राजा हीरा सिंह के नाम पर रखा गया था. बताया जाता है कि इस गांव में रहने वाले ब्राह्मण समुदाय के लोग राजा के ही वंशज हैं.
जानकारी के अनुसार हजारों वर्ष पहले इस गांव में राजा हीरा सिंह का राज हुआ करता है. उनकी विरासत आसपास के इलाकों तक फैली हुई थी. उसे समय गांव के अंदर राजा का किला था. इसके अलावा राजा हीरा सिंह ने किले से 1 किलोमीटर दूरी पर आठ दरवाजा वाला कुआं भी बनवाया था. जिसे अठलाया कहा जाता था. यह कुआं आज भी गांव के बाहर खेतों में मौजूद है.लेकिन इसकी हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि पहली बार में कोई इसे देख नहीं कह सकता कि यह हमारे पुरखों की विरासत का हिस्सा है.
कुएं के बने हुए थे आठ दरवाजे
बताया जाता है कि इस कुएं के आठ दरवाजे बने हुए थे. वहीं किले के दरवाजों पर भी शानदार नक्काशी की गई थी. यह नक्काशी इतनी शानदार थी कि राजा की मौत के कुछ समय बाद जब भरतपुर के राजा जवाहर सिंह दिल्ली से राजा जयचंद की सेना से युद्ध कर वापस भरतपुर लौट रहे थे, तो वापस लौटते समय हीरापुर गांव में वीरान पड़े किले पर आकर रुक गया. वहां उन्होंने किले के दरवाजों को देखा तो वह नक्काशी देख हैरान रह गए. और जाते समय उनको उखाड़ कर अपने साथ ले गए.
कुएं से ग्रामीण खेतों की करते थे बिजाई
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि यह दरवाजे आज भी भरतपुर के किले में लगे हुए हैं. किले में लगे दरवाजा की पहचान आसानी से की जा सकती है. आज भी इन दरवाजों पर आज हीरापुर लिखा हुआ है. गांव के लोगों ने बताया कि जलस्तर कम होने से अठलाया कुआं का जल काफी पहले सूख गया था. जब कुएं में पानी होता था तो पुराने संसाधनों के माध्यम से इसी कुएं से ग्रामीण खेतों की बिजाई करते थे. राजा की रियासत की निशानी के रूप में यह कुआं आज भी बचा हुआ है. लेकिन इसकी हालत इतनी जर्जर हो गई है कि लगता ही नहीं कि यह गांव के इतिहास का एक अहम हिस्सा है.
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FIRST PUBLISHED : September 01, 2023, 00:00 IST