जकार्ता6 घंटे पहले
- कॉपी लिंक

इंडोनेशिया की जोको विडोडो सरकार मंगलवार को संसद में नया क्रिमिनल कोड ड्राफ्ट यानी आपराधिक कानून प्रस्ताव पेश करने जा रही है। इसमें कई बातें अहम हैं। मसलन, पत्नी के अलावा किसी से संबध बनाने पर जेल होगी। गैर शादीशुदा लोगों का संबंध बनाना भी जुर्म के दायरे में होगा।
इसके अलावा दो और बातें ऐसी हैं जिन पर विरोध के सुर उठने लगे हैं। पहली- राष्ट्रपति के खिलाफ बोलना अपराध माना जाएगा। दूसरी- नेशनल आइडियोलॉजी यानी राष्ट्रीय विचारधारा का विरोध भी क्रिमिनल एक्ट माना जाएगा।
इसकी जरूरत क्यों
- इंडोनेशिया को आमतौर पर लिबरल सोसायटी माना जाता है। अब नए क्रिमिनल कोड को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि इस दक्षिण-पूर्व एशियाई में कुछ लोग नए कोड को ईरान की तरह मॉरेलिटी पुलिसिंग की तरफ एक कदम मान रहे हैं। दूसरी तरफ, सरकार का कहना है कि वो क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को बिल्कुल नया कलेवर देना चाहती है ताकि तमाम चीजें बदलते वक्त के हिसाब से और अपडेट हों।
- संसद के स्पीकर सुफमी दास्को बाम्बेंग के मुताबिक- हम नया क्रिमिनल कोड ला रहे हैं। मंगलवार को इसे संसद में पेश किया जाएगा। इसे पास कराने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी।
- सरकार का कहना है- फिलहाल, जो क्रिमिनल कोड या आपराधिक कानून व्यवस्था है जो गुलामी के दौर की है। इसमें बदलाव की सख्त जरूरत है। हमें बदलते हुए वक्त के साथ अपने कानून को भी बदलना होगा।
- खास बात यह है कि पिछले साल सरकार ने इस बिल के बारे में पहली बार जानकारी दी थी और उसी वक्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। हालांकि, अब जबकि यह ड्राफ्ट संसद में पेश किया जा रहा है तो सड़कों पर विरोध ज्यादा नहीं दिख रहा है।

राष्ट्रपति जोको विडोडो ने जी-20 के जरिए ग्लोबल इमेज बनाई, लेकिन डोमेस्टिक फ्रंट पर उनके कदम लिबरल सोसायटी को पसंद नहीं आ रहे हैं।
ड्राफ्ट की 4 अहम बातें
- पत्नी के अलावा किसी और महिला से संबंध बनाना जुर्म माना जाएगा। इसमें एक साल की जेल के अलावा जुर्माना भी हो सकता है।
- गैर शादीशुदा लोगों के संबंध बनाने को क्राइम माना जाएगा। इसके लिए भी सजा होगी। मियाद की जानकारी नहीं है।
- राष्ट्रपति के खिलाफ बोलना या उनकी बेइज्जती भी अपराध के दायरे में आ जाएगा।
- नेशनल आइडियोलॉजी (पेन्कासिला) या राष्ट्रीय विचारधारा का विरोध भी अपराध माना जाएगा।

इंडोनेशिया में क्रिमिनल कोड को लेकर सरकार 3 साल से परेशान थी। हर बार उसे कदम खींचने पड़े। अब यह ड्राफ्ट पेश किया जा रहा है।
3 साल में हिम्मत जुटा पाई सरकार
इंडोनेशियाई सरकार सितंबर 2019 से इस ड्राफ्ट को पेश करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हर बार नाकाम रही। इसकी वजह यह थी कि ड्राफ्ट पेश होने के पहले ही इसका जबरदस्त विरोध शुरू हो गया था। इसके बाद सरकार ने ड्राफ्ट में कुछ बदलाव का दावा और वादा किया।
सरकार कहती है- शादी से इतर संबंध बनाने वाले को सजा तभी दी जा सकेगी अगर इसकी शिकायत करीबी रिश्तेदार (पत्नी, पैरेंट्स या बच्चे) करें। इसी तरह राष्ट्रपति अगर खुद शिकायत करें कि उनका अपमान हुआ है तो ही आरोपी को दोषी ठहराते हुए सजा मिलेगी।
सरकार ने इसी साल अक्टूबर में यह भी दावा किया था कि उसने ड्राफ्ट में सुधार और बदलाव करते वक्त सिविल सोसायटी के एक्सपर्ट्स से भी सलाह ली है और उनके सुझाव भी इसमें शामिल किए गए हैं।

इंडोनेशिया के इचाह प्रॉविन्स में 2020 में एक महिला को कोड़े की सजा दी गई थी।
विरोधियों की दलील
- यह क्रिमिनल कोड ड्राफ्ट कानून में कब तब्दील होगा, यह तो वक्त बताएगा। हालांकि, यह भी देखना होगा कि विपक्ष सरकार का साथ देगा या नहीं, यह भी देखना होगा।
- ड्राफ्ट पर इंडोनेशिया की लॉ एक्सपर्ट बिवित्री सुशांति ने कहा- मेरी नजर में तो यह ड्राफ्ट देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। इससे भी बड़ी बात यह है कि सब जानते हुए भी हम यह कदम उठाने जा रहे हैं। सरकार मॉरेलिटी स्टैंडर्ड्स तय या मैनेज नहीं कर सकती। इंडोनेशिया कंजर्वेटिव रहेगा या लिबरल होगा? यह तो हम तय करेंगे। सरकार अंपायर बनने की कोशिश क्यों कर रही है।
- सुशांति रस्मों से जुड़े कानून, ईशनिंदा और विरोध के पहले मंजूरी लेने जैसे कई प्रावधानों पर भी सवालिया निशान लगाती हैं। बहरहाल, ड्राफ्ट पेश किए जाने के बाद इसे संसद से पारित कराना जरूरी होगा। संविधान के मुताबिक, अगर कानून बन भी गया तो इसे 3 साल बाद ही लागू किया जा सकेगा।

पिछले साल एक महिला को सार्वजनिक तौर पर 100 कोड़ों की सजा दी गई थी।
पिछले साल दी गई थी तालिबानी सजा
इंडोनेशिया में पिछले साल एक शादीशुदा महिला को गैर पुरुष से संबंध बनाने पर तालिबानी सजा का सामना करना पड़ा था। पुरुष भी विवाहित था। जुर्म कबूल करने पर महिला को सरेआम 100 जबकि पुरुष को सिर्फ 15 कोड़े मारे गए। महिला को लगातार 100 कोड़े मारे जाने थे, लेकिन वो दर्द सहन नहीं कर पाई तो कुछ देर के लिए यह हैवानियत रोक दी गई थी।
सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसी घटना के फोटो और वीडियो शेयर कर रहे हैं। उनका कहना है कि इंडोनेशियाई सरकार कट्टरता के रास्ते पर चल रही है।