
यूपी पुलिस।
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धनौरा रोड स्थित निजी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही के कारण जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। इससे नाराज परिजनों ने जमकर हंगामा किया। शव को हॉस्पिटल के बाहर रखकर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने आक्रोशित परिजनों को समझाकर शांत करवाया।
हसनपुर कोतवाली के मोहल्ला कोट में अनुसूचित जाति के जगदीश का परिवार रहता है। उनके बेटे अमित की शादी एक साल पहले आदमपुर थानाक्षेत्र के सलारपुर चक निवासी सुधा के साथ हुई थी। सुधा सात महीने की गर्भवती थी।
रविवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे अमरोहा में धनौरा रोड स्थित निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया। डॉक्टर ने नॉर्मल डिलीवरी करवाई मगर नवजात की मौत हो गई। इसके थोड़ी देर बाद सुधा की तबीयत बिगड़ गई। उसे ब्लीडिंग होने लगी।
परिजन सुधा को रेफर करने की गुहार लगाते रहे लेकिन हॉस्पिटल का स्टाफ उसका इलाज करता रहा। ब्लीडिंग नहीं रुकने के कारण सुधा की हालत अधिक बिगड़ गई। आधी रात के बाद अस्पताल संचालक ने हाथ खड़े करते हुए सुधा को मुरादाबाद के लिए रेफर कर दिया।
जैसे ही परिजन सुधा को लेकर मुरादाबाद पहुंचे। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन सुधा के शव को लेकर वापस उसी हॉस्पिटल में पहुंचे और जमकर हंगामा किया। अस्पताल संचालक और स्टाफ पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया।
पीड़ित परिजनों ने कहा कि अस्पताल का न तो रजिस्ट्रेशन है और नहीं योग्य डॉक्टर। झोलाछाप गर्भवतियों की डिलीवरी कर रहे हैं। अस्पताल के बाहर कई एमबीबीएस सर्जन डॉक्टर के नाम लिख रखे हैं, जबकि इन डॉक्टरों में से कोई नहीं बैठता।
हंगामा के बाद हॉस्पिटल का संचालक मौके से भाग निकला। इंस्पेक्टर हरिश वर्धन सिंह फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए और आक्रोशित परिजनों को समझाकर शांत किया। बाद में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया।
इसके बाद परिजन शव को घर ले गए और अंतिम संस्कार कर दिया। सीओ सिटी विजय कुमार राणा ने बताया कि मामले में मृतका के परिजनों की ओर से तहरीर नहीं दी गई है। उन्होंने पोस्टमार्टम करने से भी इन्कार कर दिया।