अब बासमती को मिलेगी बिहार के इस खास चावल से टक्कर! स्वाद ऐसा कि देश-विदेश में मचेगी धूम

गुलशन सिंह/बक्सर. बिहार के बक्सर जिला का ब्रांड सोनाचूर चावल की महक अब पूरे देश में फैलने वाली है. इसको लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है. यहां बड़े पैमाने पर इस चावल की खेती किसान कर रहे है. बक्सर में 600 से अधिक किसान जैविक तरीके से सोनाचूर की खेती कर रहे हैं. इसकी न सिर्फ ब्रांडिंग की जाएगी बल्कि विभिन्न ई-कॉमर्स साइट से देशभर में बिक्री करने की योजना है. हालांकि अभी बिहार के अलावा झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस सुगंधित सोनाचूर चावन की बिक्री हो रही है.

बक्सर जिला में जैविक कॉरिडोर फेज- 2 के तहत ब्रह्मपुर, चक्की, सिमरी, बक्सर, डुमरांव, केसठ, राजपुर, चौसा आदि इलाकों में जैविक सोनाचुर चावल की खेती बड़े पैमाने पर कराई जा रही है. गंगा के किनारे का इलाका इस फसल के काफी मुफीद और उपज भी शानदार है. इसलिए इसकी डिमांड भी लगातार बढ़ रही है. इस चावल को बाजार तक पहुंचाने की जिम्मेदारी डुमरांव फॉमर प्रोड्यूसर कंपनी ने ली है. जो जैविक विधि से उपजाये गए इस चावल को आरा, पटना, रांची, वाराणसी, कोलकाता और दिल्ली तक में आसानी से ग्राहकों तक पहुंचा रही है.

ऑनलाइन होगी सोनाचुर चावल की खरीद बिक्री
डुमरांव फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी के निदेशक पुतुल पांडेय ने बताया कि सोनाचूर चावल का क्रय-विक्रय केंद्र जिला मुख्यालय स्थित चरित्रवन में है. वहीं अब इस चावल के बढ़ते डिमांड को देखते हुए कंपनी के द्वारा डुमरांव फार्मर प्रोड्यूसर सोनाचूर चावल के नाम से एक वेबसाइट तथा एप बनाया जा रहा है, जो अभी अंडर प्रोसेस है. इसके माध्यम से देश के किसी भी कोने से बक्सर के सोनाचूर चावल की खरीद बिक्री ऑनलाइन हो सकेगी. उन्होंने बताया कि फिलहाल, सोनाचूर चावल का कारोबार नकद में स्थानीय स्तर पर हो रहा है. सोनाचूर धान की खेती करने वाले किसानों के साथ डुमरांव फॉर्मर प्रोड्यूसर का टाइअप है.


70 रुपए किलो बिकता है यह सुगंधित चावल
सोनाचूर चावल की उपज होने के बाद किसानों के खेत से सोनाचुर का उठाव 52 से 55 रुपए प्रतिकिलो के रेट से किया जाता है. इसके बाद इसे कई पैकेटों में अलग-अलग वजन के हिसाब से पैक कर बिक्री किया जाता है. फिलहाल सोनाचुर चावल 70 रुपए प्रति किलो के रेट से बिक रहा है. सरकारी स्तर पर भी सोनाचुर चावल को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास चल रहा है. जल्द ही सोनाचुर चावल ई- कॉमर्स साइट से जोड़कर इसके ऑनलाइन विक्रय का बंदोबस्त किया जाएगा. जिसके बाद लोग घर बैठे यह चावल मंगवा सकेंगे.

सुगंध ऐसा कि मृग भी खींचे चले आते हैं पास
पुतुल पांडेय ने बताया कि सोनाचूर चावल धान का एक ऐसा प्रभेद होता है, जिसके दाने बारीक और खुशबू इतनी अच्छी होती है कि इस चावल का स्वाद जिसने भी एक बार चखा वह इसका दीवाना होकर रह गया. उन्होंने बताया कि सोनाचूर चावल का प्रभाव कहें अथवा कुछ और जहां भी इसकी खेती होती है उस इलाके के आस-पास बहुतायत में हिरण पाए जाते हैं. किसान यह भी बताते हैं कि सोनाचूर चावल की खुशबू से ही मृग आकर्षित होकर उसके आस-पास ही रहते हैं, लेकिन हिरण कभी भी धान की फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.

Tags: Local18, Rice

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