अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा कोरबा का यह ऐतिहासिक तालाब, हो गया बुरा हाल 

अनूप पासवान/कोरबा. कोरबा के वार्ड नंबर 7 मोतीसागरपारा में स्थित सैकड़ों वर्ष पुराने तालाब के सामने अपनी पहचान को बचाने का संकट खड़ा हो गया है. कई कारणों से इसकी हालत बद से बदतर हो गई है और ऐसे में आसपास के लोगों को तालाब का उपयोग करने के बारे में सोचना पड़ रहा है.

जहां तहां गंदगी के निशान आसानी से देखने को मिल सकते हैं. तालाब में जंगली झाड़ी पूरी तरह से उग आई हैं. क्षेत्र के नागरिक बताते हैं कि काफी समय तक इस तालाब के पानी का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता रहा है, लेकिन समय के साथ कुछ ऐसा हुआ कि तालाब की दुर्गति हो गई. इसका संरक्षण कैसे हो, इस बारे में प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है.

बता दें की मोतीसागर तालाब कोरबा के लिए ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बेहद मायने रखता है. इस तालाब के नाम पर ही तालाब के आसपास बस्ती बस गई जिसका नाम मोतीसागरपारा पड़ गया. इस तालाब का निर्माण कोरबा जमींदारी के तीसरे शासक ने करवाया था. तत्कालीन जमींदार मोती राय जाटराज चंद्रपुर को छोड़ कर नदी पार कोरबा में नया गढ़ का निर्माण कराया.

कोरबा में मोती राय और उनके भाई राम राय के नाम से मोतीसागर व रामसागर नामक दो तालाब का निर्माण करवाया गया था. मोतीसागर के बाद नहरसाय, भरत सिंह, जवाहर सिंह, खेम सिंह, जागेश्वर प्रसाद, रानी धनराज कुंवर जमींदार हुई. वर्तमाम में दोनों तालाब अपना अस्तिव वापस खोज रहे है. बशर्ते यहां किसी का ध्यान नहीं जाता है.

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