अनोखा बैंक… यहां बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक आते हैं पर नहीं होता पैसे का लेनदेन

अशोक यादव/कुरुक्षेत्र : बैंक के बारे में तो आप सब जानते होंगे. जहां पैसों का लेन-देन किया जाता है. लेकिन हम आपको आज ऐसे बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं जहां बुजुर्ग से लेकर बच्चे भी आते हैं लेकिन एक भी पैसे का लेन देन नहीं होता है. क्या आपने रोटी बैंक सुना है. जी हां हमारे समाज के ही कुछ लोग हैं जो जरूरतमंदों की मदद के लिए रोटी बैंक चला रहे हैं. इस बैंक का काम होता है भूखे, बेसहारा लोगों तक रोटी पहुंचाना.

कैसे हुई रोटी बैंक की शुरुआत

आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं रोटी बैंक चलाने वाले एक पुलिसकर्मी से. जिनका नाम है अशोक वर्मा. इन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर रोटी बैंक की शुरुआत की थी.अशोक वर्मा ने बताया की इस रोटी बैंक की शुरुआत एक पुलिस ऑफिसर श्रीकांत जाधव ने 2017 में मधुबन करनाल से की थी. एक बार श्रीकांत जाधव घर से 40 पैकेट खाने के लेकर जरूरतमंदों में बांटने के लिए निकले थे लेकिन 40 पैकेट खाना बांटने के बाद जब वो गाड़ी में बैठकर वापिस जाने लगे. तभी बच्चों ने उनकी गाड़ी को घेर लिया और रोटी मांगने लगे. ये देख उन्हें पीड़ा हुई और रोटी बैंक शुरू करने की ठानी.

वे बताते हैं कि 2018 में कुरुक्षेत्र में भी रोटी बैंक की शुरुआत की गई. जिसकी रेख-देख उन्हें सौंपी गई. उन्होंने बताया कि शुरुआत में पुलिस लाइन में कुछ बॉक्स लगाए गए थे जहां पर पुलिस कर्मचारी प्रतिदिन घर से ही रोटी और सब्जी के पैकेट बना उन बॉक्स में डालते थे. इसके बाद उन्हें बांटा जाता था. पुलिस लाइन में स्थित डी ए वी स्कूल के बच्चों का भी अहम योगदान शुरुआत से ही रहा है. स्कूल के सभी बच्चे और स्टाफ शुरुआत से ही प्रतिदिन 2 रोटी एक्स्ट्रा लेकर आते हैं जो निरंतर जारी है.

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हर रोज 300 लोगों को करवाते हैं भोजन

अब भी पुलिस लाइन स्थित डी ए वी स्कूल के बच्चे अपने घर से दो-दो रोटी एक्स्ट्रा लेकर आते हैं जिन्हें एक बॉक्स में इकठ्ठा किया जाता है. कुछ रोटी और सब्जी को पुलिस लाइन में तैयार किया जाता है. बाद में एक ऑटो में रखकर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाता है. कुरुक्षेत्र का रोटी बैंक बेसहारा लोगों का सहारा बना है. संस्था प्रतिदिन 300 से अधिक लोगों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध करा रही है. खास बात यह है कि यह संस्था लोगों के घर तक भोजन पहुंचा रही हैवहीं दो परिवारों को रोजगार भी दिया हुआ है.

एक पुलिसकर्मी का ‘हर घर दो रोटी से लेकर रोटी बैंक’ तक का सफर

अशोक वर्मा के अनुसार रोटी बैंक न केवल कुरुक्षेत्र बल्कि करनालअंबालारेवाड़ीगुरुग्राम और फरीदाबाद में भी अपनी मुहिम चलाई है और प्रतिदिन प्रत्येक जिले में करीब 300 लोगों तक खाना पहुंचा है कुरुक्षेत्र रोटी बैंक का कार्यभार अशोक वर्मा संभाल रहे हैं जो की एक सब इंस्पेक्टर के पद पर पुलिस में कार्यरत है.

स्कूली बच्चे लेकर आते हैं 2 एक्सट्रा रोटी

डीएवी पुलिस लाइन स्कूल की प्रधानाचार्य मोनिका बताती हैं कि उनके स्कूल का हर बच्चा ही नही स्कूल का पूरा स्टाफ प्रतिदिन घर से दो रोटी अतिरिक्त लेकर आता है, जिसे स्कूल में रखें एक बॉक्स में इकट्ठा किया जाता है। स्कूल में 850 के करीब बच्चे हैं इसी के साथ 40 के करीब कर्मचारी हैं ऐसे में प्रतिदिन दो हजार के करीब रोटी इकट्ठा होती हैं जिसे रोटी बैंक के कर्मचारी यहां से लेकर जाते हैं और बाद में जरूरतमंद लोगों को बांट दिया जाता है. उन्होंने बताया कि यह कार्य करके बच्चों व उनके परिजनों को भी खुशी मिलती है अगर कभी ऐसा होता है कि परिजन रोटी डालना भूल जाते हैं तो बच्चे अपने परिजनों को याद दिलाते है। रोटी बैंक पिछले करीब 6 साल से यह कार्य कर रहा है और तभी से स्कूल के बच्चे भी इस में अपना सहयोग दे रहे हैं।

बच्चों को मिलती है दूसरों की मदद की प्रेरणा

विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने बताया की उन्हें घर से दो रोटी गरीब लोगों के लिए लेकर आना काफी अच्छा लगता है और इस प्रकार से उनके अंदर दूसरों की मदद करने की प्रेरणा मिलती है और उन्हें अच्छा लगता है कि उनके द्वारा दी गई रोटियां जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं.

पिछले 5 सालों से नहीं ली काम से छुट्टी

खाना बनाने वाली सीता ने कहा कि पिछले 5 सालों से वह रोटी बैंक में खाना बनाने का काम करती है और पिछले 5 वर्षों से लेकर आज तक उन्होंने एक भी दिन खाना बनाने के काम से छुट्टी नहीं ली. चाहे दुख हो सुख हो मगर उनके अंदर दूसरों के प्रति सेवा करने का एक भाव है और वह लगातार 5 वर्षों से यह कार्य कर रही हैं.

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